Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 36
________________ ३२ किसकी मंजूरीकी मुझको अहतियाज । आपड़ी अपने को खुद मंजूर हूं ||२|| मैं न शैदाए परी हूं ग़ाफ़िलो | मैं न घ्रुशताके जमाले हूर हूं ॥ ३ ॥ मैं न दुनिया को हूं आफत में असीर । 11811 मैं न दौलत के लिये रंजूर हूं ||४|| बेनियाजे. महफिले साकी हूं मैं । आप मैं अपने नशे में चूर हूं ॥५॥ रूह कहते हैं मुझे अहले अरब । " आत्मा मैं हिद में मशहूर हूं ॥ ६ ॥ मैं न हूं महकूम सुलतानो खुदेव मैंन न मोहताजे शह फग़फ़र हूं ॥ ७ ॥ ३५ (राग) कुवाली (ताल) कहरवा (चाल) है बहारे बाम . दुनिया चद सेन ॥ - य दिले हुशियार दीवाना न हो । ग़ैर की उल्फत में वेगाना न हो ॥ १ ॥ #लकबशाहे चीन

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