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किसकी मंजूरीकी मुझको अहतियाज । आपड़ी अपने को खुद मंजूर हूं ||२||
मैं न शैदाए परी हूं ग़ाफ़िलो |
मैं न घ्रुशताके जमाले हूर हूं ॥ ३ ॥ मैं न दुनिया को हूं आफत में असीर ।
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मैं न दौलत के लिये रंजूर हूं ||४|| बेनियाजे. महफिले साकी हूं मैं ।
आप मैं अपने नशे में चूर हूं ॥५॥
रूह कहते हैं मुझे अहले अरब ।
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आत्मा मैं हिद में मशहूर हूं ॥ ६ ॥
मैं न हूं महकूम सुलतानो खुदेव मैंन
न मोहताजे शह फग़फ़र हूं ॥ ७ ॥
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(राग) कुवाली (ताल) कहरवा (चाल) है बहारे बाम
. दुनिया चद सेन ॥
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य दिले हुशियार दीवाना न हो । ग़ैर की उल्फत में वेगाना न हो ॥ १ ॥
#लकबशाहे चीन