________________
३
आप अपने आपका आशिक त यन ।
और मे जिनहार याराना न हो ॥२॥ घर खुदा का तूने समझा है जिसे ।
अय ग्वरावाती वह मय खाना न हो ॥३॥ जान रक्खा है जिसे जामे यात ।
वह कही बेकार पैमाना न हो ॥ ४ ॥ जो नजर आता है तुझ को नोस्तां ।
अय दिले गाफिल वह वीराना न हो ॥ ५॥ कोसरी में में किया कर रात दिन।
मासिवा का याद अफ़साना न हो ॥६॥
. (राग) कवाली (ताल) स्यद (ल) गप दोनों जहान नजर से गुजर तेरी ज्ञान का कोई बशर ना मिला न गमे खिजां न फसादे गुल अजय नात्माकी बहार है। यही वाग है यही अत्र है यही जाम है यही यार है ॥१॥ मुझे लुत्फ़ है मेरी यादमं यही है खुशी दिले शादमें। मेरे ज़हन में नहीं कुछ जहां यह ज़माना सारा गुवार हे ॥२॥ न पसंद कुसरीन मेज़ है मेरी चाल मुस्त न रोज। मुझे हर जगहसे गुरेज़ है मेरा हर मकाम गुनार है ॥ ३॥