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यह सब अवतार पैगम्बर जहुरे आत्मा के हैं। अगर यूं कौसरी समझा तो बेशक तू चना समझा।।७॥
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[राप] वाली [नाता] रूपक [चाल] करत मत करना मुझे तेगो तवर से देखना॥ "आत्मा में आत्मा के मासिवा कुछ भी नहीं ।
है वकाईको वका दारे फना कुछ भी नहीं ॥१॥ 'इस तरह हूं जिस तरह पत्थरमें पिनहां है शरर ।।
"ज्ञानमय हूं मुझमें गिल श्रावो हवा कुछ भी नहीं ॥२॥ रूह यह कहती हुई निकली बदनको तोड़ कर । ___ है मेरी शक्ति अतुल लेकिन सदा कुछभी नहीं ॥३॥ किसको कांशी और मक्का हूंडता फिरता है तू ।। • है यही रूहे मुक़द्दस और खुदा कुछ भी नहीं ॥४॥ कुद्रती गुलजार है और बहरे वे पायां है यह ।
आत्माकी इब्तदा और इन्तहा कुछ भी नहीं ॥५॥ फैजे रूहानी है इनका आर्जी कुछ नाम है।
वरना चश्मों गोश क्या यह दस्तोपा कुछभी नहीं॥६॥ कोसरी तू याद रख मेरा यह रूहानी सखुन । ' ' लज्जाते दुनियाए फानी में बजा कुछ भी नहीं ॥७॥