Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 20
________________ [चाल] नाटक [नाल कहरवा ] मेरी मोनो जी मानो क्या डर है नोट-हन्यानजी का मुद्रिका लेकर सीताजीके पास जाना धारो धारो जी धीरज क्या डर है, तुम्हें काहे का दिल में फिकर है। सीता के पास जाता हूं, मुद्री को दिये आता हूं। वहां पे ना वल दिखा, काम बना के जल्दी प्रा। लादूंगा जैसी खवर है, ____ मेरे दिल में न कोई खतरहै।धारो०१॥ १७ [चाल ] नाटक [ताल-कहरवा ] अलबेला छैला ऐसा लागे नई शान का ॥ नोट-सीताजी का रावण को जवाब देना मुन पापी रावण, हाथ ना लाना मैं सती हूं। कुछ ज्ञानकर,विज्ञान कर,टुक ध्यानकर। सुन०॥ क्यों ना वीच स्वयम्वर आया, वतला तो सही ॥ क्यों ना सांगर धनुष चढ़ाया, बतलातो सही। का ना भुजबल वहां दिखलाया, बतला तो सही। क्या पता तुझे नहीं पाया, पतलातो सही । यही चतुराई--यही ठकुराई ॥

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