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(राग) कवाली (ताल) कहरवा (चाल) करल मत करना मुझे तेगो नबर से देखना ॥ मय कशी में देखलो यारो मज़ा कुछ भी नहीं । खुद व खुद बेखुद बनें लेकिन मजा कुछ भी नहीं ॥१॥ सारा घर का मालो जर बोतल के रस्ते खोदिया ! मुफ्त में इज्जत गई पाया मज़ा कुछ भी नहीं ॥२॥ जब नशा उतरी तो हालस और अवतर होगई । सासी वोतल देखकर बोले मजा कुछ भी नहीं ॥३॥ रात दिन नारी बेचारी जान को रोया करे । ' ऐसी मय रूवारी पे लानत है मज़ा कुछ भी नहीं ॥४॥ पायमत इस मय की उम्फत का नतीज़ा देख लो। बस खरावी के सिवा इसमें मज़ा कुछ भी नहीं । ५॥
(राग) रसिया (ताल) कहरवा (चाल) काँटा लागोरे देवरिया मोसे संग चलो ना जाय ॥ देखो देखोरे चेतनपा तेरे संग चले ना कोय । संग चले ना कोय ॥ नाती साथी परियन लोय ॥टेक॥