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[चा-] माझी [ साल पारपा] कट मत करना मुझे
खेगारावर से देखना नोट--जिस समय लक्ष्मणणी फे शक्ति लगी उस समय
हनुमान आदि सष सरदारों ने रामचन्द्र जी से कहा कि महाराज शोक को निवारिये और युद्ध का इना पाम बीजिये इस समय रोना उचित नहीं है पर सात सुन कर श्रीरामचन्द्रभी ने यह जवाव दिवाःमें भी रोखा जुध्या का शक जाता रहा। मैं नहीं रोल गर सरका साथ जाता हो ॥ १ ॥ पन में पाने का भी है कुछ रंगो गय मुझको नही। गम नहीं है ऐश का सामान गर जाता रहा ॥ २॥ गय नहीं सुझको अगर सीता ससी जाती रही। । गर मेगा साग सिसारा सा लखन जाता रहा ॥३॥ रंज भरतो झुझे हां रंग है इस पातका । कौरस झूठा होगया मेरा पर जाता रहा ॥४॥ किस तरह इंगा बिभीषण को भला लंका का रान। जिस भरोसे पर कहाथा आज बह जाता रहा ॥५॥