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• (चाल-) खड़ताली (ताख-शहरवा) मज़ा देते हैं क्या यार तेरे पाल धूगर पाले ॥ सुनियो भारत के सरदार, सस मारन दिखलाने वाले। सत मारग दिसलाने वाले, बद रस्मों के हटाने पाजे टेक देखो इस भारत के बीच, कैसी होगई किरिया नीच । सपने लिगा मांस को बीच, परित सेठ कहाने वाले ॥१॥ खुद बो पड़ पन गए गुणवान वा सन्शी और प्रधान । औरत यूंही रही नादान रे विद्वान कहाने वाले ॥२॥ इनका अदंगी है नाम, करतो मंत्री पद का काम । रक्खी क्यों मूरख ना काम, सुनियो सभा कराने वले॥३॥ अप तो दिल में दया विचार, औरत की भी मुनो पुकार। इनको दीजे विद्या सार, दया का भाव दिखाने वाले ॥४॥ तुमने एम० ए० डिगरी पाई, इनकी कुछ तो करो सहाई। वरना होगी यू ही हंसाई, न्यायस कहते कहने वाले ॥५॥
(राग) मिश्रित (ताल-कहरया) (चाल) अारियों पै बैठा कबूतर आधी रात ॥
, (दो लड़कियों का आपस में बात चीत करना)