Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ [चास-] नाटक [लान कटा ] नोट-गम का लकपन को सीता की तलाश करने का हुक्म देना। देखो लछमन पर उघर फर लेकर तीर मान नंगा देखो-दरिया देखो-देखो भूम यमान । मिर कंदर के अन्दर बाहर-जहां कहीं मिले निशान । मेरो हात-है बेहाल-जी निहालइसकाल-पर खयाल । देखो बालमन० ॥ मन्दी गमन करो-देरी नहीं करो। मेरे मन का गम हरो-कमें धनुष परीकरके ध्यान ॥ देवो लछमन ॥ [चाल] नाटक [तान कहरवा मेगी मानो तो मानों क्या डर है नोट - लक्ष्यण का वर दूपन मे लड़ने के लिये रामचंद्र जी से आगा मांगना । मुझे गानेदो भाई क्या डर है, तुम्हें काहेका पता फिकर है ले धनुषवाण आता है, इन को गिरा आता है, अभीमा, बा दिला, काम पनाले जल्दी शा। दिल में न कोई फिकर है, तु काहे का एता फिकर है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65