Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 23
________________ सोच कहां होगा भला उसका खदा के वास्ते ॥शा बेचिये नौ पान को हरगिज़ नहीं हरगिज़ नहीं बल्कि बन मन धन सभी दीजे गऊ के वास्ते ॥६॥ कर मना होना भता कलयुग नहीं करजुग है यह । न्यावया करता है वह सबके भने के वास्ते ॥७॥ (बाल-) बाली (तस्थि-कहरवा) नहां खेलाऊं दिख दोनों जहां में इसकी मुश्किल है। ..नोट-अनाव नवाब सफटीनेंट गवर्नर बहादुर लाई रेन वा पंचाप पर लेडी डेग यहाँ हिसार में तशरीफ़ बाये और बेटी रेन साहिवा ने कन्या-पाठशाला का निरीक्षण करके इनाम तरुप्पीम किया था उस समय फन्पानों में यह भजन पढ़ कर सुनाया था ।। बरी धन प्रापबेरी डेन को वहां पै पधारी है । हमारेगार साहेब की बड़ी प्यारी पिपारी ॥॥ परी किरपा करी नो मापने दर्शन दिखाए हैं। भाप सरकार है सबके महारानी इमारी हैं ॥२॥ बड़ादी मापने शोभा हमारी पाग्याता की । हमारे भाग अच्छे हैं वड़ किस्मत इमारी है ॥३॥

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