Book Title: Jain Bhajan Ratnavali
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 15
________________ दोहा-पंच कल्याणक पाठयह, न्यामत रचो संवार । संवत् विक्रम दोसहस, छियालीस देवो निकार ॥२५॥ (चाल) कपाली (ताल कहरवा) कत्ल मत करना मुझे तेगो तघर से देखना जैनमत जब से घटा मरस ज़माना हो गया । यानि सच्चा शान सब एक दम रवाना हो गया ॥१॥ गम्त फहमी झूठ लाइल्मी गई हद से गुज़र । सब अगर पूछो तो सर उलटा जमाना हो गया ॥२॥ जाते पाक ईश्वर को करता हरसा दुनियाका करें। ' हाय भारत भाजकल विलकुल 'दिवाना हो गया ॥३॥ अर्मफल दाता भी कोई और है कहने लगे। कैसी उल्टी बात का दिल में ठिकाना हो गयो ॥४॥ कोई कोई जीवकी हस्ती से गो मुनकिर हुए। कैसा यह प्रज्ञान का दिल दे निशाना हो गया। जैन मत प्रचार हटने का नतीजा देख लो। रहम उन्फत छोड़ कर हिंसक जमाना हो गया ॥६॥ झूठ चोरी और दगादाजी कहाँ तक बढ़ गई। पाप करते श्राप कलयुग का बहाना हो गया ॥७॥

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