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श्रीचेतविजयरचित दादाजी हीरसूरी पद
॥राग- सारङ्ग ॥ ...
बिजय हीर भये शुभ ध्यान में, ३ शुद्धदृष्टि निज आतम देखै, परमातम कै ग्यान में । बि० ॥ १ ॥ संयम सुधारस शील का प्याला, छींके अमृत पान में । बि० ॥ २ ॥ समकित पाय मरम सुख पावै, बेठा अविचल थांन में । बि० ॥ ३ ॥ अगम अगोचर महिमां तेरी, नहीं पावै अजांन में । बि० ॥ ४ ॥ घरघर साहिब परचा दिजै, भरमै नहीं जिहांन में । बि० ॥ ५ ॥ जिनही पाया तिनही छिपाया, भाखै नही पर कानमें । बि० ॥ ६ ॥ चेतविजय चपलता छोडौ, भूलो मत अज्ञान में । बि० ॥ ७ ॥
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