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गुरू उपदेश धारण करेरे, अकबर मुगल सम्राट ।
धर्म अहिंसा दिल धरेरे, छोड आप विराट रे ॥ सब ॥ ९ ॥
गुजरात मालव देशमें रे अजमेर ने फतेपुर । दिल्ही लाहोर मुल्तानमेरे, अहिंसा हुकम हजूररे ॥ सब ॥ १०॥ अभय दान लाखों जीवोंको, डामर सरोवर पास । शान्तिचन्द्रवाचकने बजाई, पडह अमारी छ मासरे ॥ सब ॥ ११ ॥
जगद्गुरुका बिरुद धराया, हीर विजय सूरिराज । हस्ती श्री मुनिगणपति, जयंति मनाओ आजरे ॥ सब ॥ १२ ॥
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