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हीरगुरु गीत
(तर्ज- जय बोलो महावीर स्वामी की)
झण्डा महावीर का लहराया, अहिंसा का डंका बजवाया । विजयदानसूरी के पट्टधर की ॥ जय० जय बोलो श्रीहीरसूरीश्वरकी ॥
जिनशासन का उद्योत किया, अकबर को प्रतिबोध दिया । तपगच्छनायक ज्योतिर्धर की ॥ जय०
गुरुआज्ञा को सम्मान दिया, छः माह अमारी एलान किया । मूक जीवों के रहबर की ॥ जय०
जगद्गुरु विरुद सुयशधारी, धन-वैभव सुख-संपतकारी । मेहर बरसाते जलधर की ॥ जय० अँधियारे मन में प्रकाश भरो, 'आशीष' शरण में बाँह धरो । अर्जी अवधारो अनुचर की ॥ जय०
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