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श्री सुशीलसूरि रचित
जगद्गुरु श्रीहीरसूरीश्वर जी महाराज का गीत
(तर्ज- काली कमली वाले तुमको लाखों सलाम )
जगद्गुरु श्री हीरसूरि को क्रोड़ों वन्दनसूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ टेर ॥
कुंराशा - नाथीदेवी के नंदन, हे विश्व के जन- मन- रंजन;
जन्म्या पालनपुर
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ १ ॥
ली दीक्षा तेरह वर्ष की वय में, बने दानसूरि के शिष्य पाटण में; हुए हीर अनगार
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ २ ॥
पंडित - वाचक पदवी पाये, आचार्य भी पदवी सोहाये;
किया जगत उपकारसूरिको क्रोड़ों वन्दन ॥ ३॥
अकबर को सदुपदेश देकर, जनधर्म का रागी बनाकर;
समजाया अहिंसासारसूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ४॥
अकबर द्वारा अमारी पलायी, प्रतिवर्ष षट्मास कहलायी;
PROBOO HOON ZOON
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