Book Title: Hir Swadhyaya Part 02
Author(s): Mahabodhivijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
View full book text
________________
प्रभाति
अजब ज्योत मेरे जिनकी ॥ १ ॥ आं. कोडे सुरज लेई एकठा कीजें होड न आवे मेरे जिनकी ॥ २ ॥ अ. झगमग ज्योति झलामल-झलकें काया नील रतनकी ॥ ३ ॥ अ. हीरविजें प्रभु पास संखेसर आरचा पूरो मेरे मनकी ॥ ४ ॥
___अजब ज्योत मेरे जिनकी ॥ इति श्री प्रभातिराग संपूर्ण
श्रीगुरुहीरविजयसूरिंदो . तपगच्छकुलनो चंदो, देशविंदसिजसभरयससुं उपशम सुरतरुकंदो, वर्धमानविद्यानो आकर वर्धमानकरिध्यान, वर्धमान पासइ जिनपामइ मागइ सकलचंद शिवदान ॥ ३३ ॥
. ॥ इति श्रीवीर स्तवन ॥
MMM३०७BIOMOLTOL

Page Navigation
1 ... 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356