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________________ ३२ श्री सुशीलसूरि रचित जगद्गुरु श्रीहीरसूरीश्वर जी महाराज का गीत (तर्ज- काली कमली वाले तुमको लाखों सलाम ) जगद्गुरु श्री हीरसूरि को क्रोड़ों वन्दनसूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ टेर ॥ कुंराशा - नाथीदेवी के नंदन, हे विश्व के जन- मन- रंजन; जन्म्या पालनपुर सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ १ ॥ ली दीक्षा तेरह वर्ष की वय में, बने दानसूरि के शिष्य पाटण में; हुए हीर अनगार सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ २ ॥ पंडित - वाचक पदवी पाये, आचार्य भी पदवी सोहाये; किया जगत उपकारसूरिको क्रोड़ों वन्दन ॥ ३॥ अकबर को सदुपदेश देकर, जनधर्म का रागी बनाकर; समजाया अहिंसासारसूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ४॥ अकबर द्वारा अमारी पलायी, प्रतिवर्ष षट्मास कहलायी; PROBOO HOON ZOON २२७
SR No.005849
Book TitleHir Swadhyaya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year1998
Total Pages356
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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