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किया सुधर्म प्रचार
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ५॥ जीव छुड़ाये और कैदी छुड़ाये, तीर्थों का भी परवाना लिखाये;
हटाये जजियाकर
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ६॥ सम्राट अकबर ने हीर सूरि को, दिया जगद्गुरु पदवी को;
वा जय-जयकार
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ७॥ दिल्लीपति को सन्मार्गी बनाया, . राजा राणादि को भी जुकाया;
किया तीर्थादि उद्धार
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ८॥ पाँच सौ शिष्य साथ मेघऋषि को, शिष्य बनाये देकर दीक्षा को;
तपस्वी तारणहार'
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ९॥ तपगच्छनायक हीरसूरीश्वर, चमत्कारी युगप्रधान प्रवर;
धीर वीर महागम्भीर
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ १०॥ सूरिनेमि-लावण्य-दक्ष गुरु के, सुशील सूरि ने श्री हीरसूरि के;
गाये गीत मनोहार
सूरि को क्रोड़ों वन्दन ॥ ११ ॥ DE PRC
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