Book Title: Gunsthan Siddhanta ek Vishleshan Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Parshwanath Shodhpith VaranasiPage 13
________________ गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण सन्दर्भ १. कम्मविसोहिमग्गणं पडुच्च चउद्दस जीवट्ठाण पण्णत्ता, तं जहा मिच्छादिट्ठी सासायणसम्मादिट्ठी, सम्मामिच्छादिट्ठी, अविरयसम्मादिट्ठी, विरयसविरए, पमत्तसंजए, अप्पमत्तसंजए, निअट्टिबायरे, अनिअट्टिबायरे, सुहुमसंपराए, उवसामए वा खवए वा, उवसंतमोहे, खीणमोहे, सजोगीकेवली, अयोगीकेवली । ६ -- समवायांग ( सम्पादक - मधुकर मुनि ), १४/१५. २. मिच्छादिट्ठी सासायणे य तह सम्ममिच्छादिट्ठी य । अविरसंसम्मदिट्ठी विरयाविरए पत्ते य ।। तत्ते य अप्पमत्तो नियट्टि अनियट्टिबारे सुहुमे । उवसंतखीणमोहे होइ सजोगी अजोगी य ।। • नियुक्तिसंग्रह ( आवश्यकनिर्युक्ति ), पृ० १४९ ― ३. चोद्दसहिं भूयगामेहिं ... वीसाए असमाहिठापेहि । । - ―――― ― - ४. तत्थ इमातिं चोद्दस गुणट्ठाणाणि ... अजोगिकेवली नाम सलेसीपाडिवन्नओ, सो य तीहिं जोगेहिं विरहितो जाव कखगघङ इच्चेताइं पंचहस्सक्खराई उच्चरिज्जंति एवतियं कालमजोगिकेवली भावितूण तोहे सव्वकम्मविणिमुक्को सिद्ध भवति । आवश्यकनिर्युक्ति ( हरिभद्र ) भाग २, प्रका० श्री भेरूलाल कन्हैयालाल कोठारी धार्मिक टस्ट, मुम्बई, वीर सं० २५९८, पृ० १०६-१०७. आवश्यकचूर्णि (जिनदासगणि), उत्तर भाग, पृ० १३३-१३६, रतलाम १९२९. ५. एदेसि चेव चोद्दसहं जीवसमासाण परुवणट्ठदाए तत्थ इमाणि अट्ठ अणियोगद्वाराणि णायव्वाणि, भवंति मिच्छादिट्ठि ... सजोगकेवली अजोगकेवल सिद्धा चेदि । Jain Education International षट्खण्डागम ( सत्प्ररूपणा ), प्रका० जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, पुस्तक १ द्वि०सं० सन् १९७३, पृ० १५४-२०१. ६. मिच्छादिट्ठी सासादणो य मिस्सा असंजदो चेव । देसविरदो पमत्तो अपमत्तो तह य णायव्वो ।। तो अव्वकरणो अणियट्टी सुहुमसंपराओ य । वसंतखीणमोहो सजोगिकेवलिजिणे अजोगी य ।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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