Book Title: Gunsthan Siddhanta ek Vishleshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 99
________________ गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण | ४ १४ चौथे से सात चौथे से सात तक-४ | तक-४ तीसरा-१ | तीसरा-१ वेदनीय कर्म - २ सातावेदनीय . असातावेदनीय मोहनीयकर्म - २८ सम्यक्त्वमोहनीय मिश्रमोहनीय मिथ्यात्वमोहनीय | अनन्तानुबन्धीक्रोध अनन्तानुबन्धीक्रोध २२. अनन्तानुबन्धीमाया अनन्तानुबन्धीलोभ अप्रत्याख्यानावरणक्रोध अप्रत्याख्यानावरणमान अप्रत्याख्यानावरणमाया अप्रत्याख्यानावरणलोभ प्रत्याख्यानावरणक्रोध प्रत्याख्यानावरणमान प्रत्याख्यानावरणमाया प्रत्याख्यानावरणलोभ ३२. संज्वलनक्रोध ३३. संज्वलनमान ३४. संज्वलनमाया ३५. संज्वलनलोभ ३६.| हास्य-मोहनीय ३७. | रति-मोहनीय अरति-मोहनीय ३९. शोक-मोहनीय ww ० ० ० rrrrors 3 3 3 5 MIM33 ar rrrr x x x x 5 5 5 5 aa aar uuuu rrrr x x x x 5 5 5 5 or a rouuuu 16.olwoolwowonlolwolw - W Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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