Book Title: Gunsthan Siddhanta ek Vishleshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 103
________________ गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण २. or < or 0 0 १२९. 10३१. 9999999 or or or or or uru or or or ur Wwwwwwwwr ~ ~ ~ M» » oook १३४. पर्याप्त-नामकर्म प्रत्येक-नामकर्म स्थिर-नामकर्म शुभ-नामकर्म सुभग-नामकर्म सुस्वर-नामकर्म १३०. आदेय-नामकर्म यशकीर्ति-नामकर्म ३२. | स्थावर-नामकर्म १३३. | सूक्ष्म-नामकर्म अपर्याप्त-नामकर्म १३५. साधारण-नामकर्म १३६. अस्थिर-नामकर्म १३७. अशुभ-नामकर्म दुर्भग-नामकर्म | दुःस्वर-नामकर्म १४०. अनादेय-नामकर्म १४१. अयश:कीर्ति-नामकर्म गोत्र-कर्म - २ उच्चगोत्र १४३ नीचगोत्र अन्तरायकर्म - ५ १४४. दानान्तराय लाभान्तराय १४६. | भोगान्तराय १४७. उपभोगान्तराय १४८. | वीर्यान्तराय or a or or (१३८. or १३९. or k १४२. १० । १४ । १३ । १४ or و १४० ہ १४५. ہ ہ or or or ora * * * * * ہ ہ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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