Book Title: Gunsthan Siddhanta ek Vishleshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 131
________________ गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण में समता चित्तवृत्ति की समत्व की अवस्था है और वृत्तिसंक्षय आत्मरमण की । समत्व हमारी आध्यात्मिक साधना का प्रथम चरण है और वृत्तिसंक्षय आध्यात्मिक साध्य की उपलब्धि । १२० सन्दर्भ १. देखिये : विनयपिटक, चुल्लवग्ग, ४/४. २. दर्शन और चिन्तन ( गुजराती ), पृ० १०२२. ३. भगवद्गीता : डॉ० राधाकृष्णन्, पृ० ३१३. ४. गीता, १४ / १०. ५. वही, १४/५. ६. वही, ७ / १३. ७. वही, ९/३०. ८. वही, १/१५. ९. वही, ७/१६, ७/१८ ( इसमें उदारे शब्द का प्रयोग अपेक्षाकृत है ) १०. वही, ७/२०. ११. वही, २/४३, २/४४. १२ . वही, २ / ७. १३. वही, २/४०. १४. वही, ६ / ३७. १५. वही, ९/३०. १६. वही, ९/३१. १७. वही, ६/४५. १८. वही, ६ / ३७, ६/३८. १९. वही, ६/४०. २०. वही, १८ / २०. २९. वही, १८ / २३. २२. वही, १८/२६, वही, १४ / ११ २३. भगवद्गीता ( हिन्दी ) : डॉ० राधाकृष्णन्, पृ० ११४. २४. गीता, २/४५. २५. वही, ८ / ११. २६. वही, ८/१२, ८/१३. २७. वही, ८/१० २८. कालिदास, रघुवंश, १/८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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