Book Title: Gitagovinda Kavyam
Author(s): Jayadeva, King Manaka, V M Kulkarni
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ प्रलोकः 1] . गीतगोविन्दकाव्यम् [81 किञ्च / कुचकलशं किं विफलीकुरुषे किं निष्फलं करोषि / किम्भूतम् / तालफलादपि अधिकं गुरुम् / पुनः किम्भूतम् / अतिसरसं सह रसेन वर्तते इति सिरसम् / आलिङ्गनादतिसुखसाधनमित्यर्थः। __ कति नेत्यादि / कति न कथितमिदमनुपदमचिरम् / मा परिहर हरिमतिशयरुचिरम् // 3 // किञ्च / अनुपदं प्रतिपदं प्रतिक्षणम् अविलम्बं यथा स्यात्तथा कतिवारं इदं मया न कथितम् / इदमिति किम् / हरिं मा परिहर / किम्भूतम् / अतिशयरुचिरो लावण्यगुणयुक्तस्तम् / किमितीत्यादि / किमिति विषीदसि रोदिषि विकला / विहसति युवतिसभा तव सकला // 4 // हे राधे त्वं विलासिनी / किमिति विषीदसि / खेदं कुरुषे / विकला सती किमिति रोदिषि / तवेयं युवतिसभा सखीसभा सकलाऽपि त्वां विहसति उपहसति / 'सजलेत्यादि / सजलनलिनीदलशीतलशयने / हरिमवलोकय सफलय नयने // 5 // हे राधे सखि / इह 'सजलनलिनीदलशीतलशयने हरिमवलोकय शीतलशय्यायामुपविश्य 10हरिमवलोक्य नयने द्वे सफलय / नयनग्रहणस्यार्थ सार्थक कुरु / जनयसीत्यादि / जनयसि मनसि किमिति गुरुखेदम् / शृणु मम वचनमनीहितभेदम् // 6 // किञ्च / मनसि 11स्वान्ते। बहुतरं खेदं किमिति जनयसि / किम्भूतं खेदम् / गुरु गरिष्ठम् / तर्हि किं 12 करोमि तत्राह / त्वं मम वचनं शृणु। किम्भूतम् / 13 अनीहितभेदं न ईहितः भेदो यत्र तत्तथा। हितकारकमित्यर्थः। 14ननु त्वद्वचनेनापि हरिं न व्रजामि / तत्राह।। 1) P अतिसरसं / 2) B drops from आलिङ्गना to मित्यर्थः / 3) B प्रति. पदम् अनुपदम् अनुक्षणं अविलं (बं)। 4 ) B drops न। 5) B हरिमतिशयरुचिरम् / अतिशयरुचिरो....। 6) B drops सखीसभा। 7) B drops उपहसति / 8) B मृदुनलिनी / 9) B मृदुनलिनीति। 10 ) B हरिमवलोक्य नयने द्वे सफलय नयनद्वयस्य अर्थ सार्थकं कुरु / 11) A चित्ते / 12 ) B करोमीत्याह। 13) A 'समीहितम् / सम्यक् प्रकारेण विहितभेदो यत्र तत्तथा / ' 14) B drops from ननु to तत्राह / 11

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