Book Title: Gitagovinda Kavyam
Author(s): Jayadeva, King Manaka, V M Kulkarni
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 149
________________ 120 पृष्ठानि 0 0 0 0 47 Coc م م . c 5 88 111 102 107 0 0cc م 101 0 0 0 पद्यानि विशद कदम्बतले विश्वेषाममुरञ्जनेन विहितपद्मा विहरति वने विहितविशद वृष्टिव्याकुल वेदानुद्धरते व्यथयति वृथा व्यालोलः केशपाशः शशिकिरण शशिमुखि शृणु रमणीयतर श्यामलमृदुल श्रमजलकणभर श्रितकमला श्रीजयदेवभणित श्रीजयदेवकवेरिदम् श्रीजयदेवकवेरिदमुदित श्रीजयदेवकवेरिदं कुरुते श्रीजयदेवे श्रीजयदेवभणितमतिसुन्दर श्रीजय देवभणितमतिललितम् श्रीजयदेवभणितमधरीकृत श्रीजय देवभणितमिदमतिशय श्रीजय देवभणितमिदमधिकं श्रीजयदेवभणितमिति गीतम् श्रीजयदेवभणितमिदमद्भुत श्रीजयदेवभणितमिदमुदयति श्रीजयदेवभणितरतिवञ्चित श्रीजयदेवभणितविभव श्रीजयदेवभणितहरिरमितम् श्रीजयदेववचसि रुचिरे लिष्यति कामपि श्लिष्यति चुम्बति श्वसितपवनम् 107 58 पद्यानि सकलभुवन सजलजलद सजलनलिनी सञ्चरदधर सत्यमेवासि यदि सभयचकितं समुदितमदेन सरसघने सरसमसृणमपि सा मां द्रक्ष्यति सा रोमाञ्चति सा विरहे सा ससाध्वस सुचिरमनुनयेन स्तनविनिहितमपि स्थलकमल स्थलजलरुह स्निग्धे यत्परुषासि स्फुरतु कुच स्फुरदतिमुक्त स्फुरितमनङ्ग स्मरगरलखण्डनं स्मरशरसुभग स्मरसमरोचित स्मरातुराम् हरिचरणशरण हरिपरिरम्भण हरिरभिमानी हरिरभिसरति हरिरिति हरिरिति हरिरुपयातु हस्तस्रस्तविलास हारममल हारावली हृदि विशलता . CSN 0 0 C 41 44 18 0C NC 200 0 0 occ c 103 114 18 0 58 0

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