Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 18
________________ १२०० - १३०० ( ई० उ० ) १२७५ - १३१० ( ई० उ० ) १३००-१३७० ( ई० उ० ) १३००-१३८० ( ई० उ० ) १३०० - १३८० ( ई० उ० ) १३६० – १३९० ( ई० उ० ) १३६० - १४४८ ( ई० उ० ) १३७५ -- १४४० ( ई० उ० ) १३७५ - १५०० ( ई० उ० ) १४०० - १५०० ( ई० उ० ) १४०० - १४५० ( ई० उ० ) १४०० - १४५० ( ई० उ० ) १४२५ – १४६० ( ई० उ० ) १४२५- १४९० ( ई० उ० ) १४५० - १५०० ( ई० उ० ) १४९० - - १५१२ ( ई० उ० ) १४९० - १५१५ ( ई० उ० ) १५०० - १५२५ ( ई० उ० ) १५०० - १५४० ( ई० उ० ) १५१३ - १५८० ( ई० उ० ) १५२०-- १५७५ ( ई० उ० ) १५२० - १५८९ ( ई० उ० ) १५६० - १६२० ( ई० उ० ) Jain Education International -819 वरदराज का व्यवहारनिर्णय । पितृभक्ति, समय प्रदीप एवं अन्य ग्रन्थों के प्रणेता श्रीदत्त । : गृहस्थरत्नाकर, विवादरत्नाकर, चण्डेश्वर । : वैदिक संहिताओं एवं ब्राह्मणों के भाष्यों के संग्रहकर्त्ता सायण । : पराशरस्मृति की टीका पराशरमाधवीय तथा अन्य ग्रन्थों के रचयिता एवं सायण के भाई माधवाचार्य | क्रियारत्नाकर आदि के रचयिता भदनपाल एवं उसके पुत्र के संरक्षण में मदनपारिजात एवं महार्णवप्रकाश किये गये । : गंगावाक्यावली आदि ग्रन्थों के प्रणेता विद्यापति के जन्म एवं मरण की तिथियाँ | देखिए इडियन ऐण्टिक्वेरी (जिल्द १४, पृ० १९० - १९१), जहाँ देवसिंह के पुत्र शिवसिंह द्वारा विद्यापति को प्रदत्त बिसपी नामक ग्रामदान के शिलालेख में चार तिथियों का विवरण उपस्थित किया गया है (यथाशक १३२१, संवत् १४५५, ल०स० २८३ एवं सन् ८०७ ) । : याज्ञवल्क्य ० की टीका दीपकलिका, प्रायश्चित्तविवेक, दुर्गोत्सवविवेक एवं अन्य ग्रन्थों के लेखक शूलपाणि । : विशाल निबन्ध धर्मतत्त्व कलानिधि (श्राद्ध, व्यवहार आदि के प्रकाशों में विभाजित ) के लेखक एवं नागमल्ल के पुत्र पृथ्वीचन्द्र । : तन्त्रवार्तिक के टीकाकार सोमेश्वर की न्यायसुधा । : मिसरू मिश्र का विवादचन्द्र । : मदनसिंह देव द्वारा संगृहीत विशाल निबन्ध मदनरत्न । : शुद्धिविवेक, श्राद्धविवेक आदि के लेखक रुद्रघर । : शुद्धिचिन्तामणि, तीर्थचिन्तामणि आदि के रचयिता वाचस्पति । : दण्डविवेक, गंगाकृत्यविवेक आदि के रचयिता वर्धमान । : दलपति का व्यवहारसार, जो नृसिंहप्रसाद का एक भाग है। : दलपति का नृसिंहप्रसाद, जिसके भाग हैं- श्राद्धसार, तीर्थसार, प्रायश्चित्तसार आदि । : प्रतापरुद्रदेव राजा के संरक्षण में संगृहीत सरस्वतीविलास । : शुद्धिकौमुदी, श्राद्धक्रियाकौमुदी आदि के प्रणेता गोविन्दानन्द । : प्रयोगरत्न, अन्त्येष्टिपद्धति, त्रिस्थलीसेतु के लेखक नारायण भट्ट । : श्राद्धतत्त्व, तीर्थतत्त्व, शुद्धितत्त्व, प्रायश्चित्ततत्त्व आदि के लेखक रघुनन्दन । : टोडरमल के संरक्षण में टोडरानन्द ने कई सोख्यों में शुद्धि, तीर्थ, प्रायश्चित्त, कर्मविपाक एवं अन्य १५ विषयों पर ग्रन्थ लिखे । : द्वैतनिर्णय या धर्मद्वैतनिर्णय के लेखक शंकर भट्ट । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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