Book Title: Dharmopadesh Sangraha Author(s): Shrutdhar Purvacharya Publisher: Vardhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala View full book textPage 7
________________ धर्मोपदेश ॥१॥ भईम् वर्धमान-सत्य-नीति-हर्षसरि जैन ग्रन्थमाला ग्रन्थाङ्कः नं. १९ चान्द्रकुल तपागच्छसंविग्नशाखाग्रणी तीर्थोदारक आचार्य श्री विजयनीतिसूरीश्वरसद्गुरुभ्यो नमः श्रुतधर पूर्वाचार्य प्रणीतधर्मोपदेशसंग्रहः | चिदानंदस्वरूपाय, रूपातीतायतायिने ॥ परमज्योतिषे तस्मै नमः श्री परमात्मने ॥१॥ | पश्यन्ति योगिनो यस्य, स्वरूपं ध्यानचक्षुषा ॥ दधानाः मनसः शुद्धि तं स्तुवे परमेश्वरम् ॥२॥ जन्तवः सुखमिच्छन्ति निस्तुषं तच्छिवे भवेत् ॥ तद्ध्यानात् तन्मनःशुद्धया कषायविजयेन सा ॥३॥ स इन्द्रियजयेन स्यात् सदाचारादसौ भवेत् ॥ स जायते सूपदेशान्नृणां गुणनिवन्धनम् ॥४॥Page Navigation
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