Book Title: Dharmopadesh Sangraha
Author(s): Shrutdhar Purvacharya
Publisher: Vardhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala

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Page 6
________________ शुद्धं धर्मोपदेश पृष्ठ पंक्ति ६२ ८ ६० ११ ६ 1-99-6-SARKARI ७९ १४ अशुद्ध चाम्भोभिभि चाम्मोभि सत्यकार सत्यकार मैथुनान मैथुनात् बालु वालु स्त्रीभक्ष्य जनितोत्रत जनितोत्तम असंबद्ध २५मो श्लोक भुलथी छपायो छे कममो कर्मतो स्ताक अशुद्ध वसत्यशन मंगीकृत्यशु तत्रता कल्याणाथ आहवानाथ श्रीहीरीसूरेः जगद् गुरू सम्मायत्री पाटमहात्सर्व शुद्ध वसत्यशन ७५ मंगीकृत्याशु ७६ तत्रतो कल्याणाय आहेबानाय श्रीहोरसूते जगद्गुरु ९२ लम्भयित्री ९३ पाटमहोत्सव ९४ ७०४ ७४४ स्तो

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