Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 24
________________ ( १ ) दुःख-आर्य-सत्य भिक्षुओ। दुख-आर्य-सत्य क्या है ? पैदा होना दुख है, वूढा होना दी दुख है, मरना दुख है, शोक करना दुख है, रोना पीटना दुख है, पीडित होनादुख है, चिन्तित होना दुख है, परेशान होना दुख है, इच्छा की पूर्ति न होना दुख है, थोडे मे कहना हो तो पाँच उपादान स्कन्ध ही दुख है। भिक्षुओ। पैदा होना किसे कहते है ? यह जो जिस किसी प्राणी का, जिस किसी योनि में जन्म लेना है, पैदा होना है, उतरना है, उत्पन्न होना है, स्कन्धो का प्रादुर्भाव होना है, आयतनो की उपलब्धि है-इसे ही भिक्षुओ। पैदा होना कहते है। भिक्षुओ। बूढा होना किसे कहते है ? यह जो जिस किसी प्राणी का, जिम किसी योनि मे बुढापे को प्राप्त होना है, दाँत टूटना है, वाल पकना है, चमडी मे झुर्रा पडना है, आयु का खातमा है, इन्द्रियो का दुर्वल होना हैइसे ही भिक्षुओ। वूटा होना कहते है। भिक्षुओ। मरना किसे कहते है ? यह जो जिस किसी प्राणी का, जिस किसी योनि से गिर पडना अतित होना है, पृथक् होना है, अन्तर्धान होना है, मृत्यु को प्राप्त होना है, काल कर जाना है, स्कन्धो का अलहदा अलहदा हो जाना है, शरीर का फेक दिया जाना है-इसे ही भिक्षुओ, मरना कहते है। भिक्षुओ। गोक किसे कहते है ? यह जो जिस किसी विपत्ति से युक्त, जिस किसी पीडा मे पीडित मनुप्य का सोचना है, चिन्ता है, अन्दरूनी गोक है-इसे ही भिक्षुओ, गोक कहते है।

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