Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 87
________________ पुण्यात्मा बन जाता है। व्यभिचारी भी ब्रह्मचारी बन जाता है। दुर्बल तथा दुरामा भो साधु हो जाता है। जो पुस्प अपने को औपधियों का दास बनाकर भी जीवन लाभ नही कर सका है, उसे इस पुस्तक में बताये सरल नियमों का पालन कर अनन्त जीवन प्राप्त करना चाहिये । कोई भी ऐसा गृहस्थ या भारतपुत्र न होना चाहिये जिसके पास ऐसी उपयोगो पुस्तक को एक प्रति न हो । दसवें संस्करण का मूल्य ॥) ६-वीर राजपूत-अप्राप्य मू०१) ७-हम सौ वर्ष कैसे जीवें-भारतवर्ष मे औषधालयों और औषधियों की कमी नहीं, फिर भी यहाँ के मनुष्यों को श्रायु अन्य देशों की अपेक्षा सबसे कम क्यों है ? औषधियों का विशेप प्रचार न होते हुये भी हमारे पूर्वजों की आयु सैकडों वर्ष कैसे होती थी ? एक मात्र कारण यही है कि हमारे खाने पीने, उठने बैठने के व्यवहारों में वर्तने योग्य कुछ ऐसे नियम हैं जिन्हे हम भूल गये हैं "हम सौ वर्ष कैसे जी ?" को पढ कर उसके अनुसार चलने से मनुष्य सुखों का भोग करता हुआ १०० वर्ष तक जीवित रह सकता है । मूल्य १) ८-वैज्ञानिक कहानियाँ-महात्मा टाल्स्टाय लिखित वैज्ञानिक कहानियाँ, विज्ञान की शिक्षा देनेवाली तथा मनोरंजक पुस्तक मूल्य') ९-वीरो की सच्ची कहानियाँ-यदि आपको अपने प्राचीन भारत के गौरव का ध्यान है यदि आप वीर और बहादुर बनना चाहते है, तो इसे पढिये | इसमे अपने पुरुषाओं की सच्ची वीरता-पूर्ण यश गाथायें पढ कर श्रापका हृदय फडक उठेगा, नसों मे वीर रस प्रवाहित होने लगेगा, पुरुषाओं के गौरव का रक्त उबलने लगेगा । मूल्य केवल |) १०-आहुतियाँ-यह एक बिलकुल नये प्रकार की नयी पुस्तक है। देश और धर्म पर बलिदान होने वाले वीर किस प्रकार हँसते हँसते मृत्यु का आवाहन करते है ? उनकी आत्मायें क्यों इतनी प्रबल हो जाती है ? वे मर कर भी कैसे जीवन का पाठ पढते हैं ? इत्यादि दिल फडकाने वाली कहानियाँ पढ़नी हो तो "आहुतियाँ" आज ही मॅगा लीजिये । हिन्दी

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