Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 88
________________ में ऐसा संग्रह कभी नही निकला था। एक एक कहानी वीर रस में सराबोर है। मूल्य केवल ) ११-जगमगाते हीरे--प्रत्येक आर्य सन्तान के पढ़ने लायक यह एक ही नयी पुस्तक है । इसमें राजा राममोहन राय से लेकर आज तक के भारत प्रसिद्ध महापुरुषों की सक्षिप्त जीवन दी गयी है। एक बार इस सचित्र पुस्तक को श्राप खुद पढ़िये और अपने स्त्री-बच्चों को पढाइये। मूल्य केवल १) १२-पढ़ो और हँसो-विषय जानने के लिये पुस्तक का नाम ही काफी है। एक एक लाइन पढिये और लोट-पोट होते जाइये । श्राप पुस्तक अलग अकेले मे पढगे, पर दूसरे लोग समझेगे कि आज किससे यह कहकहा हो रहा है। पुस्तक की तारीफ यह है कि पूरी मनोरंजक होते हुए भी अश्लीलता का कही नाम नहीं । यदि शिक्षाप्रद मनोरंजक पुस्तक पढ़नी है तो इसे पढ़िये । मूल्य 1) १३-मनुष्य शरीर की श्रेष्ठता-मनुष्य के शरीर के अंगों और उनके कार्य इस पुस्तक मे बतलाये गये है। इसके पढ़ने से आपको पता चलेगा कि हम अपनी असावधानी, तथा अपनी अनियमित रहन सहन से शरीर के अंगों को किस प्रकार विकृत कर डालने हैं। मूल्य 12) १४-एकान्तवास-अप्राप्य मू० ) __ ५१-पृथ्वी की अन्वेषण की कथायें-अप्राप्य ) १६-फल उनके गुण तथा उपयोग-पुस्तक का विषय नाम ही से प्रकट है। अभी तक इस विषय पर हिन्दी में क्या भारत की किसी भपा में भी कोई पुस्तक प्रकाशित नही हुई। यह बात निर्विवाद है कि फालाहार सब से उत्तम और निर्दोष श्राहार है । महात्मा गांधी फल पर ही रहते हैं। भारतीय ऋषि फलाहार ही से हजारों वर्ष जीवित रहते थे, रोग उनके पास नहीं फटकता था। अस्तु आप अपने तन मन और आत्मा को नीरोग रखना चाहे तो यह पुस्तक अवश्य पढ़ें । मूल्य केवल ११) १७-स्वास्थ्य और व्यायाम-यह अपने ढंग की हिन्दी में एक ही पुस्तक है । आज दिन व्यायाम के प्रभाव से नवयुवकों के स्वास्थ्य और

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