Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 90
________________ नवयुवकों को लक्ष्य करके लिखी गई है। इस पुस्तक के प्रत्येक पृष्ठ के पढने से नवयुवकों मे उत्साह, स्फूर्ति तथा नवजीवन प्राप्त होगा। इस पुस्तक के लेखक हैं हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान तथा जयपुर हाईकोर्ट के भूतपूर्व जज ठाकुर कल्याणसिह जी बी० ए० । सुन्दर जिल्द से युक्त पुस्तक का मूल्य १॥ है। २२-वेदान्त धर्म-इसमे देश-विदेश में वेदान्त का झंडा फहराने वाले स्वामी विवेकानन्द के भारतवर्ष में वेदान्त पर दिये हुये भाषणों का संग्रह है। ये वे ही व्याख्यान हैं, जिनके प्रत्येक शब्द में जादू का सा असर है। पढ़ते समय ऐसा जान पडता है, मानो उनका प्रत्यक्ष भापण सुन रहे हो । स्वामी जी के भाषण कितने प्रभावशाली, जोशीले और सामयिक है, इसे बतलाने की आवश्यकता नही । आध्यात्मिक विपयों को रुचि रखने वालों को इसे अवश्य पढना चाहिये। मू०१) २३-पौराणिक महापुरुष-अाजकल हमारे बच्चे स्कूलों में विदेशी महापुरुष के ही चरित पढते हैं । परिणाम यह होता है कि उन 'पर विदेशी श्रादर्शो की छाप पड़ जाती है, वह अपने भारतीय संस्कृति और धर्म से दूर होजाते हैं। इस पुस्तक मे हरिश्चन्द्र, शिवि, दधीच आदि महापुरुषों की जीवन कथायें संक्षेप में दी गई हैं। जिन्होंने सत्य, दया धर्म के लिये अपनी आहुति दे दी थी। म०॥ २४-मेरी तिव्वत यात्रा-इसके लेखक भारतीय पुरातन के 'अन्वेपक त्रिपिटकाचार्य राहुल सांकृत्यायन है । लेखक ने अभी हाल ही मे तिब्बत को यात्रा को थी । इस पुस्तक मे तिब्बत के अनोखे रीति रिवाज, वहाँ को रहन-सहन तथा धार्मिक मामाजिक रूढ़ियों पर काफी प्रकाश डाला गया है । इस पुस्तक से नेपाल के विषय मे भी काफी बातें मालूम होती है । पुस्तक पढ़ने मे उपन्यास का सा मजा पाता है । पुस्तक पत्रों के रूप मे है । मू० १ २५-दूध हो अमृत है-दूध की उपयोगिता को कौन प्राणी स्वीकार न करेगा। जब बच्चा जन्म लेता है, दूध ही द्वारा उसको जीवन नदा होती है। ऐसे जीवन रक्षक दूध के सम्बन्ध मे अंगरेजी श्रादि विदेशी

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