Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 92
________________ होने से देश भर मे, ठग डाकुओं का किस प्रकार दौर-दौरा था, नवाब के कर्मचारी किस प्रकार बहू-बेटियों की इजत वर्वाद करते थे, प्रजा का सर्वस्व अपहरण कर उन्हे दर-दर का भिखारी ब्ना देते थे, इसे पढ़कर पत्थर का हृदय भी पिघल जायगा ।। श्रापको स्वर्ग और नर्क का दृश्य साथ ही देखना हो तो इस उपन्यास को अवश्य ही पढें । सुन्दर नयनाभिराम चिन से युक्त पुस्तक का म० २) ३--ममलीरानी--मनुप्य में जब कभी जीवन-रस की प्यास भड़कती है, तब वह कैसा अन्धा हो जाता है, कामना की अग्नि मे जली-भुनी नारी भी अवसर आने पर अपना कलेजा किस तरह उडा करती हैं, जीवन 'के घोमल मधुर मिलन कितने प्राण-प्रद होते हैं, श्रादर्श नारी के हृदय मे कितना प्यार, कैसा दर्प और कैसी दृढ़ न्याय-वुद्धि होती है और अन्त तक वह अपने श्राराध्य के साथ-साथ अपने जीवन का कैसे उपसर्ग करती है ये सब बाते इस उपन्यास मे ऐसी जीवित भाषा, सुन्दर दृश्यों तथा अद्धत घटनाओं के मकोरों मे इतनी मनोहर शैली से बताई गयी है कि पाठक को पढते-पढते चक्ति कर ढालती है | पृष्ठ संख्या लगभग तीन सौ, तिरगा कवर, म०२) • । स्त्रियोपयोगी दो अनुपम पुस्तकें १-खी और सौन्दर्य-यौवन और सौन्दर्य स्त्रियों के लिए 'परमात्मा की अनुपम देन है । परन्तु स्त्रियाँ अपनी असावधानी तथा प्रज्ञानता से २०-२२ वर्ष तक पहुंचते पहुंचते इससे हाथ धो बैठती हैं और जीवन भर शारीरिक और मानसिक कष्ट भोगती रहती हैं । प्रस्तुत पुस्तक सभी स्त्रियों के लिये बड़े काम की है चाहे वह युवावस्था में प्रवेश कर रही हो अथवा अपनी असावधानी से जिन्होंने यौवन को नष्ट कर डाला हो। इस पुस्तक मे सौन्दर्य और स्वास्थ्य रक्षा के लिये ऐसे सुगम साधन तथा सरल व्यायाम बतलाये गये है जिनके नियमित रूप से वर्तने से ५० वर्ष को अवस्था तक भी स्त्रियाँ सुन्दरी और स्वस्थ बनी रह सकती हैं । मू०३) २-पाकविज्ञान-इसकी लेखिका ज्योतिर्मयो ठाकुर हैं । लेखिका

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