Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 55
________________ अ १० सम्यक् कर्मान्त भिक्षुओ, सम्यक् कर्मान्त (= कर्म) क्या है ? एक आदमी जीव-हिंसा को छोड जीव-हिमा से दूर रहता है। वह दण्ड का प्रयोग नहीं करता, शस्त्र का प्रयोग नहीं करता, लज्जाशील, दयावान्, सभी प्राणियो पर अनुकम्पा करने वाला होता है। एक आदमी चोरी करना छोट, चोरी करने से दूर रहता है। विना चोरी किए जो प्राप्त होता है, केवल उसी को ग्रहण कर पवित्र जीवन व्यतीत करता है। जो पराया माल है, चाहे ग्राम मे हो, चाहे जगल मे, वह उसकी चोरी नहीं करता। एक आदमी काम-भोग का जो मिथ्याचार है, उसे छोड, काम-भोग के मिथ्याचार से दूर रहता है। वह किसी ऐसी स्त्री से काम-भोग का सेवन नही करता जो उसकी अपनी माता के घर मे है, पिता के घर मे है, मातापिता के घर मे है, भाई के घर में है, बहिन के घर में है, रिश्तेदारो के घर मे है। गोत्र वालो के घर मे है, धर्म की लडकी है, जिसका किसी से विवाह हो गया है, जो दासी है, और तो और जो गले में माला डाले नाचने वाली है। भिक्षुओ, उसे सम्यक् कर्म कहते है।

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