Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 76
________________ पृ० १० अर्हत् — जीवन्मुक्त । तथागत — बुद्ध के तथागत, लोकनाथ, सुगत, महामुनि, लोकगुरु, धर्म स्वामी आदि अनेक नाम है । तथागत तथा आगत = वैसे आये जैसे ओर बुद्ध । मृगदाव - (मृगो का जगल) वर्तमान सारनाथ ( वनारस ) । श्रमण - साधु । मार — शैतान कामदेव | परिशिष्ट आर्य सत्य - ( = श्रेष्ठ - सत्य ) । बारह प्रकार से – प्रत्येक आर्य सत्य के बारे मे ( १ ) यह आर्यसत्य है | (२) यह आर्य - सत्य जानना चाहिये । ( ३ ) यह आर्यसत्य जान लिया गया है - इस प्रकार तेहरा ज्ञान । पृ० ३. पाँच उपादान स्कन्ध- (देखो पृष्ठ ४) आयतन -- इन्द्रियाँ | - पृ० ४० रूप उपादान स्कन्ध (दे० पृ० ५ ) वेदना उपादान स्कन्ध ( इन्द्रियो ओर विषयो का सयोग होने पर किसी भी प्रकार की अनुभूति ( Sensation ) सज्ञा उपादान स्कन्ध — वेदना के अनन्तर किसी भी अस्तित्व का नामकरण। (Pe1ception) सस्कार उपादान स्कन्ध - चारो स्कन्धो से अवशिष्ट चैतसिकक्रियाएँ । विज्ञान उपादान स्कन्ध-- विशिष्ट ज्ञान (Consciousness) -- ५० ५० पृथ्वी धातु - 'पृथ्वी' ग्रहण न करके पृथ्वी-पन ग्रहण करना चाहिये ( inertia ) ।

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