Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 33
________________ १२ P ससार मे चक्षु - विज्ञान प्रिय-कर है, ससार ससार मे श्रोत्र - विज्ञान प्रिय-कर है, ससार मे ससार मे घ्राण-विज्ञान प्रिय-कर है, ससार मे ससार मे जिह्वा - विज्ञान प्रिय-कर है, ससार ससार मे काय - विज्ञान प्रिय-कर है, ससार मे काय - विज्ञान मे मजा है । ससार मे मनो-विज्ञान प्रिय-कर है, ससार मे मनो-विज्ञान में मजा हैइन्ही मे यह तृष्णा पैदा होती है, और इन्ही मे अपना घर बनाती है । मे ससार मे चक्षु स्पर्ग प्रिय-कर है, ससार मे चक्षु स्पर्श मे मजा है । ससार मे श्रोत्र - स्पर्ग प्रिय-कर है, ससार मे श्रोत्र - स्पर्श मे मजा है । ससार मे घ्राणस्पर्श प्रिय-कर है, ससार मे घ्राण-स्पर्श मे मजा है । ससार मे जिह्वा - स्पर्श प्रिय-कर है, ससार मे जिह्वा स्पर्श मे मजा है । ससार मे काय - स्पर्श प्रिय। कर है ससार मे काय स्पर्श मे मजा है । ससार मे मन-स्पर्श प्रिय-कर है, ससार मे मन-स्पर्श मे मजा है— इन्ही मे यह तृष्णा पैदा होती है, और इन्ही मे यह अपना घर बनाती है । में चक्षु - विज्ञान मे मजा है । श्रोत्र - विज्ञान मे मजा है । मजा है | घ्राण - विज्ञान मे जिह्वा - विज्ञान मे मजा है । ससार मे चक्षु-स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना ( = अनुभूति) प्रियकर है, ससार मे चक्षु-स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना (अनुभूति) मे मजा है । ससार मे श्रोत्र - स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना प्रिय-कर है, ससार मे श्रोत्र-स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना मे मजा है । ससार मे घ्राण-स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना प्रिय-कर है, ससार मे घ्राण-स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना मे मजा है । ससार मे जिह्वा स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना प्रिय-कर है, ससार मे जिह्वा - स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना में मजा है । ससार में काय- स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना प्रिय-कर है, ससार मे काय - स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना में मजा है । ससार मे मन-स्पर्श से उत्पन्न होने वाली वेदना प्रिय-कर है, ससार मे मन- स्पर्ग से उत्पन्न होने वाली वेदना में मजा है -- इन्ही मे यह तृष्णा पैदा होती है, और इन्ही में यह अपना घर बनाती है ।

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