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श्रीजयसिंहसूरिविरचित- श्रीधर्मोपदेशमालाविवरणान्तर्गता 'श्रीजयसद्दकुसुममाला विंशतिजिनस्तुतिः '
( ई० स० ८५९)
(गाथाछन्दः)
जय मयणानल - जलहर ! जय जय दुट्ठ-ट्ठकम्म- घण-पवण । जय भविय-कमल- दिणयर ! जय उसभजिणिंद ! जय नाह ! ॥ १ ॥
जय विजय - दुजय - वम्मह ! जय जय - णीसेस - तिहुयणाणंद ! । जय सिद्धिवहु-विसेसय ! जय अजियजिणिंद ! सुर नमिय ! ॥ २ ॥
जय गुण - रयण-महो अहि ! जय जय कुल - जलहि- पुण्णिमाइंद ! । जय मोह - तिमिर - दिणयर ! जय संभव ! जणिय-जय - हरिस ! ॥ ३ ॥
जय मेरुसिहर - भूसण ! जय संसार - जलहि-वरपोय ! | जय तवलच्छि - सुसंगय ! अहिनंदण ! सुजय जय - णाह ! ॥ ४ ॥ जय कोव - महोरग - सिद्धमंत ! जय जय सुरिंद-नय-चलण ! | जय माण-महातरु-गंधवाह ! जय जय सुमइ - जिणइंद ! ॥ ५ ॥ जय रायलच्छि - पूइय ! जय जय दिव्वारविंद-कय-चलण ! । जय पमप्पहसामिय ! जय जय भुवणम्मि सुपसिद्ध ! ॥ ६ ॥ जय कित्ति - महानय - दिव्वसेल ! जय समत्थ-गुण-निहस ! । जय नाणलच्छि - सेविय ! जय जयसु सुपास- जिणयंद ! ॥ ७ ॥
जय तिहुयणेक्कसामिय ! जय जय ससि कुंद-हार - संकास ! ।
जय मोक्खमग्ग - देसय ! चंदप्पह ! जय जयसु जय नाह ! ॥ ८ ॥
जय पत्त - दिव्वकेवल ! जय जय तेलोक्क- दिट्ठ-दि( द ) ट्ठच ! ।
जय जय सिद्ध (द्धि ) वहू-पिययम ! जय सुविहि- जिणिंद ! गय-राग ! ॥ ९ ॥
जय तिहुयण - सिरि-सेविय ! जय जय नीसेस - पाव - मल- रहिय ! । जय सयल - भुवण - भूसण ! जय सीतलनाह ! नयचलण ! ॥ १० ॥
जय भुवण - गेह-मंगल-पईव ! जय जय मुणिंदनयचलण ! । जय तव - ताविय - कलिमल ! जय जयहि जिणिंद ! सेयंस ! ॥ ११ ॥