Book Title: Bruhad Nirgranth Stutimani Manjusha Part 01
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 276
________________ (४) श्रीपउमचरिय-अंतर्गता इन्द्रकृता ऋषभजिनस्तुतिः (प्रायः ईस्वी दशम शताब्धाः पूर्वार्धम्) (............ छन्दः) सुर-करि-खन्धुत्तिण्णएण वहु-रोमञ्चुब्भिण्णएण । सप्परिवारे सुन्दरेण थुइ आढत्त पुरन्दरेण ॥ १ ॥ जय अजरामर-पुर-परमेसर । जय जिण आइ पुराण महेसर ॥ २ ॥ जय दय-धम्म-रयण-रयणायर । जय अण्णाण-तमोह-दिवायर ॥ ३ ॥ जय ससि भव्व-कुमुय-पडिवोहण । जय कल्लाण-णाण-गुण-रोहण ॥ ४ ॥ जय सुरगुरु तइलोक्क-पियामह । जय-संसार महाडइ-हुयवह ॥ ५ ॥ जय वम्मह-णिम्महण महाउस । जय कलि-कोह-हुआसणे पाउस ॥ ६ ॥ जय कसायघण-पलयसमीरण । जय माणइरि-पुरन्दरपहरण ॥ ७ ॥ जय इन्दिय-गयउले पञ्चाणण । जय तिहुअण-सिरि-रामालिङ्गण ॥ ८ ॥ जय कम्मारि-मडप्फर-भञ्जण । जय णिक्कल णिरवेक्ख णिरञ्जण ॥ ९ ॥ ' घत्ता तुह सासणु दुह-णासणु एवर्हि उण्णइ चडियउ । जें होन्तेण पहवन्तेण जगु संसारे ण पडियउ ॥ १० ॥

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