Book Title: Bhuvanabhanukevalicariya
Author(s): Indahansagani, Ramnikvijay Gani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 15
________________ भुवणभाणुकेवलि-चरिय समयनी दृष्टिए त्रीजी रचना छे संवत् १६०३ मां रकायेल खरतरगच्छीय लक्ष्मीलाभगणिनु प्राकृत गद्यबद्ध 'भुवनभानुकेवलिचरित्र'. अद्यावधि अप्रकाशित आ कृतिनी सं. १८८८ मां लखायेल हस्तप्रत ला. द. भा. सं. विद्यामंदिरमा छे.' आ लक्ष्मीलामे मलधारीना संस्कृत चरित्र- शब्दशः प्राकृत रूपान्तर करेलु जणाय छे. तेना पर कोई अज्ञात कर्ताए रचेल गुजराती स्तबक पण छे. वि. सं. १७६९ मां तपगच्छना उदयरत्नसूरिए गुजराती भाषामा 'भुवनभानुकेवळीनो रास' लरत्रेल छे. आ रास पण मलधारीना 'भु. भा. के. चरित्र'ना आधारेज रच्यो होवार्नु कर्त्ताप स्वयं नोंध्युं छे. आ रास प्रकाशित थयेल छे.२ वि सं. १८०१ मां तत्त्वहंसगणिए मलधारोना 'भु. भा. के. चरित्र' पर एक गुजराती बालावबोध रचेल मळे छे. ते अप्रकाशित छे. तेनी हस्तप्रत उपरोक्त ला. द. विद्यामंदिरमां उपलब्ध छे. ____ आ ज मलधारीनी कृति पर कोई हरिकलश यति विरचित बालावबोध-वार्तिकनी प्रत पण उपरोक्त विद्यामंदिरना संग्रहमा छे-जेनो रचना समय के लेखन समय अज्ञात छे.' आ उपरांत जिनरत्नकोषमा बोजा चारेक कर्त्ताओनो 'भुवनभानुचरित्र' के 'भुवन भानुकेलिचरित्र' नामक रचनाओ नोंधाई छे. तेमना नाम छे-हरिभद्रसूरि, उदयविजय, विजयचन्द्रसूरि अने हरिकलश गणि." आमां जिनरत्नकोष मुजब हरिभद्रसूरिनी कृति विमळगच्छना उपाश्रयमा (डाबडा नं. २७ प्रत नं. १२) होवी जोईए-परंतु विमळगच्छना भंडारनी प्रतिओना अद्यतन सूची पत्रमां कोई आवी रचना नथी मळती. बीजा अने त्रोजा कर्ता विशे विशेष हकीकत नथी मळी. चोथा कर्ता ते उपर उल्लिखित हरिकलश यति ज जणाय छे के जेणे 'भु. भा. चरित्र' मूळ नहीं परंतु मलधारीनी कृतिनी टीका ज रची छे. आम भुवनभानु केवलीनुं चरित्र एक उपदेशात्मक कथानक तरीके जैन साहित्यमां घणु प्रचार पामेलु जोई शकाय छे. अमदावाद, १५ जून १९७६. -र. म. शाह १. ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, प्रति नं. १५०, २. भुवनभानुकेवळीनो रास, उदयरत्नसूरि, प्रका. शेठ उकाभाइ शिवजी, मुंबई, ई. स. १८७१. ३. ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, प्रति नं. १०२४०. ४. ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, प्रति नं. ७८८२. ५. जिनरत्नकोष संपा. ह. द. वेलनकर, पुना ई. स. १९४४, पृ. २८२. ६. जुओ 'विमळगच्छ ज्ञानभंडार' नला. द. भा. सं. विद्यामंदिर स्थित सचिपत्र. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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