Book Title: Bhuvanabhanukevalicariya
Author(s): Indahansagani, Ramnikvijay Gani
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 69
________________ सिरिदहसगणिविरइयं तत्तं जिर्णिदउत्तं अत्थि व नऽत्थि त्ति संसओ संका । सम्मत्तचंदमज्झे पडिभासइ सा कलंकु व्व ७२५॥ आकंखा परदंसणिधम्मविहाणम्मि जो अ अहिलासो । दंसणविसुद्धसलिले 'अहिठिअमलु व्व सा नेआ ॥७२६।। दाण-तवाइअधम्मे किजंते जो फलम्मि संदेहो । 'दंसणदिप्पपईवंऽजणरेह व्व हवइ विगिच्छा ॥७१७॥ विजा-विणोअपमुहं 'दट्टणमपुव्वयं चमकारं । धम्मो इमो वि रम्मो चिंतइ नेआ इअ पसंसा ||७२८॥ आलवणाइअकरणं कुलिंगिवग्गेण चत्तमग्गेण । सो संथवो इअ इमे "इसुणो दोसा य चत्तव्वा ॥७२९।। पिंडप्पयाणपमुहा परिहरिअव्वा परे वि दोसा य । दसणकालुस्सगरा किर अपहिएसिणा तुमए ॥७३०।। कलुसीकयम्मि ईसि पि तम्मि मोहाइणो हवंति गुरू । "पुव्वावकयाणि सरंतो ते गाढं पकुप्पंति ॥७३१॥ "निअदंतदट्टउट्ठा इमे सरोसा गलेण गहिऊणं । सवसत्तणम्मि नेऊण निद्दया 'अहिअमदंति ॥७३२।। तेणं च न दायव्यो अवगासो तेसि दुट्ठचित्ताण । तुमए कयावि भो वच्छ! वच्छलेणं निअप्पस्स ॥७३३।। सम्मं निसेविओ सो सम्मइंसणमहंतमंतिवरो । चारित्तधम्मचक्किं दंसेइ ''अणंतसुहदं तं ॥७३॥ एसो अ चक्कवट्टी नमंतजणवल्लहो सभत्तीए । आसेविओ निअसरीराओ न य होइ 'वइरित्तो ॥७३॥ देसविरइ-सव्वविरइनामाणं 'अप्पपुत्तिआण कमा । पाणिग्गहणं कारिस्सइ चक्की सो अ परितुट्ठो ॥७३६॥ "ताओ परमिट्ठाओ वरलक्खणलक्खलक्खिअंगीओ। "सुहसंदोहपयाओ गुणसव्वस्सअववरिआओ ॥७३७॥ आराहणं व ताणं दुहसझं निउणरंजिअमणाणं । ताणं च चित्तकलुसत्तणं जणेइ न "सुहेसिजणो ॥७३८॥ १. अधिष्ठितमल इव ॥ २. दर्शनदीप्रप्रदीपाऽञ्जनरेखा इव ॥ ३. दृष्ट्वा अपूर्वम् ॥ ४. इषवः पश्वसंख्याः ।। ५. भारमहितषिणा ॥ ६. पूर्वापकृतानि ॥ ७. निजदन्तदष्टौष्ठाः ॥ ८. स्ववशत्वे-स्ववशतायाम् ॥ ९. अधिकम् मर्दयन्ति ॥ १०. अनन्तसुखदम् ॥ ११. व्यतिरिक्तः मिन्नः इत्यर्थः ॥ १२. आत्मपुत्रिकाणाम् ॥ १३. ताः परमेधः वरलक्षण-लक्षलक्षिताङ्गथः ॥ १४. सुखसन्दोहप्रदाः गुणसर्वस्वापवरिकाः, भपवरिकाः भाषायाम् 'ओरती ॥ १५. सैषिजनः ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170