Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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उववजंति ?, एवं जहेव ओहिओ कण्हलेस्स उद्देसओ तहेव निरवसेसं चउसुवि जुम्मेसु भाणियो जाव अहे सत्तमपुढविकण्हलेस्सखुड्डागकलियोगनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति ?, तहेव । सेवं भंते ! २ति ॥ (सूत्रं ८३४ ) ॥ ३१।६ ॥ नीललेस्सभवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव भाणियवा जहा ओहिए नीललेस्स उद्देसए । सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ॥ ( सूत्रं ८३५ ) ॥ ३११७ ॥ काउलेस्साभवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव उववाएयवा जहेव ओहिए काउलेस्स उद्देसए । सेवं भंते । २ जाव विहरइ ॥ ( सूत्रं ८३३ ) ॥ ३११८ ॥ जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि उद्देसया भणिया एवं अभवसिद्धीएहिवि चत्तारि उद्देसगा भाणियधा जाव काउलेस्साउद्देसओत्ति । सेवं भंते ! २त्ति ॥ ( सूत्रं ८३७ ) ॥ ३१।१२ ॥ एवं सम्मदिट्ठीहिवि लेस्सासजुतेहिं चत्तारि उद्देसगा कायचा, नवरं सम्मदिट्ठी पढमबितिएसुवि दोसुवि उद्देसएस अहेसत्तमापुढवीए न उववाएयधो, सेसं तं चैव । सेवं भंते सेवं भंतेत्ति ! ( सूत्रं ८३८ ) ॥ ३१।१६ ॥ मिच्छादिट्ठीहिवि चत्तारि उद्देसगा कायचा जहा भवसिद्धियाणं । सेवं भंते । २त्ति (सूत्रं ८३९ ) ॥ ३१।२० ॥ एवं कण्हपक्खिएहिवि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायवा जहेव भवसिद्धीएहिं । सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति (सूत्रं ८४० ) । ३१।२४ ॥ सुक्कपक्खि| एहिं एवं चैवं चत्तारि उद्देसगा भाणियन्वा जाव वालुयप्पभापुढविकाउलेस्ससुक्कपक्खियखुड्डागकलिओगनेरइया णं भंते ! कओ उवव० १, तहेव जाव नो परप्पयोगेणं उवव० । सेवं भंते २ ति ॥ ( सूत्रं ८४९ ) ॥ ३१ ॥ २८ ॥ सधेवि एए अट्ठावीस उद्देसगा ॥ उववायसयं सम्मत्तं ॥ ३१ ॥
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