Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः२/
३४ शतक उद्दे.१अधः पृथ्व्यादीनामूवादावुत्पादः सू.८५१
॥९५७॥
सुहमपुढविकाइयत्ताए एगपयरंमि अणुसेढीए उववजित्तए से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा जे भविए विसेढीए उववजित्तए से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा से तेण?णं जाव उववजेजा, एवं पज्जत्तसुहुमपुढविकाइयत्ताएऽवि, एवं जाव पजत्तसुहुमतेउकाइयत्ताए, अपज्जत्तसुहमपुढविकाइए णं भंते! अहेलोग जाव समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपजत्तवायरतेउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते!, कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा?, गोयमा! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववजेजा, से केणटेणं?, एवं खलु गोयमा! मए सत्त सेढीओ प०, तं०-उजुआयता जाव अद्धचक्कवाला, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा दुहओवंकाए सेढीए उववजमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा से तेणटेणं, एवं पजत्तएसुवि बायरतेउकाइएसुवि उववाएयचो, वाउकाइयवणस्सइकाइयत्ताए चउक्कएणं भेदेणं जहा आउक्काइयत्ताए तहेव उववाएयचो २०, एवं जहा अपज्जत्तसुहमपुढविक्काइयस्स गमओ भणिओ एवं पज्जत्तसुहुमपुढविकाइयस्सवि भाणियचो तहेव वीसाए ठाणेसु उववाएयवो ४०, अहोलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहएत्ता एवं बायरपुढविकाइयस्सवि अपजत्तगस्स पजत्तगस्स य भाणियचं ८०, एवं आउक्काइयस्स चउविहस्सवि भाणियवं १६०, सुहुमतेउक्काइयस्स दुविहस्सवि एवं चेव २००, अपजत्तवायरतेउक्काइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए स. २ जे भविए उडलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपजत्तसुहमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ?, गोयमा! दुस
ACASSAGARMAC
॥९५७॥
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