Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २
॥ ९७७ ॥
जहा वालुयप्पभाए सेसं तं चेव । सेवं भंते! सेवं भंते! ति ॥ ४१।१२ ॥ काउलेस्सेहिवि एवं चैव चत्तारि उद्देसगा कायद्या नवरं नेरइयाणं उबवाओ जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव । सेवं भंते! सेवं भंते! प्ति ॥४१॥१६॥ | तेउलेस्सरा सीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते! कओ उववज्जन्ति ?, एवं चैव नवरं जेसु तेउलेस्सा अस्थि तेसु भाणियां, एवं एएवि कण्हलेस्सासरिसा चत्तारि उद्देसगा कायद्या । सेवं भंते । २ ॥ ४१।२० ॥ एवं पम्हलेस्साएवि चत्तारि उद्देसगा कायद्दा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वेमाणियाण य एएसिं | पम्हलेस्सा सेसाणं नत्थि । सेवं भंते । २ ति ॥ ४१।२४ ॥ जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साएवि चत्तारि उद्देसगा काया नवरं मणुस्साणं गमओ जहा ओहिउद्देसएस सेसं तं चेव, एवं एए छसु लेस्सासु चडवीसं उद्देसगा ओहिया चत्तारि, सधे ते अट्ठावीसं उद्देसगा भवति । सेवं भंते ! २ति ॥ ४१।२८ ॥ भवसिद्धिय| रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उवव० ? जहा ओहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरव| सेसं एए चत्तारि उद्देसगा । सेवं भंते ! २न्ति ॥ ४१।३२ ॥ कण्हलेस्सभवसिद्धियरा सीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कओ उवव० ?, जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमेवि भवसिद्धियकण्हलेस्सेहिवि चत्तारि | उद्देसगा कायद्या ॥ ४१।३६ ॥ एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहिवि चत्तारि उद्देसगा कायवा ॥ ४१|४० ॥ एवं | काउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देगा ॥ ४१।४४ ॥ तेउलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा ॥ ४१।४८ ॥ पम्हलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा ॥ ४१।५२ ॥ सुक्कलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा, एवं एएवि
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४१ शतके सू ८६७
॥ ९७७ ॥
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