Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 638
________________ व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २ ॥ ९७६ ॥ उवजीवंति आयअजसंपि उवजीवंति, जइ आयजर्स उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ?, गोयमा ! |सलेस्सावि अलेस्सावि, जइ अलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! नो सकिरिया अकि| रिया, जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्यंति जाव अंत करेंति ?, हंता सिज्यंति जाव अंतं करेन्ति, जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया, जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव अंतं करेन्ति ?, गोयमा ! अत्थेगइया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव अंतं करेन्ति | अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणेणं सिज्यंति जाव अंतं करेन्ति, जइ आयअजसं उवजीवंति किं सलेस्सा अलेस्सा ?, गोयमा ! सलेस्सा नो अलेस्सा, जइ सलेस्सा किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! सकिरिया नो अकिरिया, जइ सकिरिया तेणेव भवग्गणेवं सिज्झति जाव अंतं करेंति ?, नो इणट्टे समट्ठे । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥ रासीजुम्मसए पढमो उद्देसओ ॥ ४१|१|| रासीजुम्मते ओयनेरइया णं भंते! कओ उववजंति ?, एवं चेव उद्देसओ भाणियवो नवरं परिमाणं तिन्नि वा | सत्त वा एकारस वा पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उवव० संतरं तहेव, ते णं भंते! जीवा जंसमयं | तेयोगा तंसमयं कडजुम्मा जंसमयं कडजुम्मा तंसमयं तेयोगा ?, णो इणट्टे समट्ठे, जंसमयं तेयोया तंसमयं | दावरजुम्मा जंसमयं दावरजुम्मा तंसमयं तेयोया ?, णो इण्ट्ठे समट्ठे, एवं कलियोगेणवि समं, सेसं तं चैव जाव वैमाणियां नवरं उववाओ सधेसिं जहा वक्कतीए । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥ ४११२ ॥ रासीजुम्म Jain Education International For Personal & Private Use Only ४१ शतके सू८६७ ॥ ९७६ ॥ www.jainelibrary.org

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