Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 621
________________ पढमसमयकडजुम्मरएगिदिया णं भंते! कओ उववजंति?, गोयमा! तहेव एवं जहेव पढमो उहेसओ तहेव सोलसखुत्तो बितिओवि भाणियचो, तहेव सवं, नवरं इमाणि य दस नाणत्ताणि-ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइ० आउयकम्मरस नो बंधगा अबंधगा आउयस्स नो उदीरगा अणुदीरगा नो उस्सासगा नो निस्सासगा नो उस्सासनिस्सासगा सत्तविहबंधगा नो अट्टविहबंधगा, ते णं भंते! पढमसमयकडजुम्मरएगिदियत्ति कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा! है एक समयं, एवं ठितीएवि, समुग्घाया आदिल्ला दोन्नि, समोहया न पुच्छिजंति उबद्दणा न पुच्छिजइ, सेसं तहेव सवं निरवसेसं, सोलसुवि गमएसु जाव अणंतखुत्तो। सेवं भंते!२त्ति (सूत्रं ८५७) ॥ ३५॥२॥ अपढमसमयकडजुम्मरएगिदिया णं भंते! कओ उववजंति ?, एसोजहा पढमुद्देसोसोलसहिवि जुम्मेसु तहेव नेयवो |जाव कलियोगकलियोगत्ताए जाव अणंतखुत्तो । सेवं भंते! २त्ति ॥ ३५॥३॥ चरमसमयकडजुम्मरएगिदिया णं भंते! कओहिंतो उववजंति?, एवं जहेव पढमसमयउद्देसओ नवरं देवा न उववज्जति तेउलेस्सा न पुच्छिज्जति, सेसं तहेव । सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति ॥३५॥४॥ अचरमसमयकडजुम्मरएगिदिया णं भंते ! कओ |उववजंति जहा अपढमसमयउद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियो । सेवं भंते! २ त्ति ॥ ३५॥५॥ पढमसम| यकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! कओहिंतो उववजंति ?, जहा पढमसमयउद्देसओ तहेव निरवसेसं । सेवं भंते! २त्ति जाव विहरइ ॥३५॥६॥ पढमअपढमसमयकडजुम्म २ एगिदिया णं भंते! कओ उउव. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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