Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 629
________________ 'कडजुम्मरबेन्दिया ण'मित्यादि, 'जहन्नेणं एवं समयं ति समयानन्तरं सङ्ख्यान्तरभावात् , एवं स्थितिरपि । | इतः सर्व सूत्रसिद्धमाशास्त्रपरिसमाप्तः, नवरं चत्वारिंशे शते__ कडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते ! कओ उववजन्ति?, उववाओ चउमुवि गईसु, संखेजवासाउयअसं| खेजवासाउयपज्जत्तअपजत्तएमु य न कओवि पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति, परिमाणं अवहारो ओगाहणा य जहा असन्निपंचिंदियाणं वेयणिजवजाणं सत्तण्हं पगडीणं बंधगा वा अबंधगा वा | वेयणिजस्स बंधगा नो अबंधगा मोहणिजस्स वेदगा वा अवेदगा वा सेसाणं सत्तण्हवि वेदगा नो अवेयगा सायावेयगा वा असायावेयगा वा मोहणिजस्स उदई वा अणुदई वा सेसाणं सत्तण्हवि उद्यी नो अणुदई नामस्स गोयस्स य उदीरगा नो अणुदीरगा सेसाणं छण्हवि उदीरगा वा अणुदीरगा वा कण्हलेस्सा वा जाव मुक्कलेस्सा वा सम्मदिट्टी वा मिच्छादिट्ठी वा सम्मामिच्छादिट्ठी वा णाणी वा अन्नाणी वा मणजो० वइजो० कायजो० उवओगो वन्नमादी उस्सासगा वा नीसासगा वा आहारगा य जहा एगिदियाणं विरया य अविरयाय विरयाविरयारसकिरिया नोअकिरिया। ते णं भंते! जीवा किं सत्तविहबंधगा अट्टविहबंधगा वा छबिहबंधगा वा एगविहबंधगावा?,गोयमा सत्तविहबंधगावाजाव एगविहबंधगा वा, ते णं भंते ! जीवा किं आहारसन्नोवउत्ता जाव परिंग्गहसन्नोवउत्ता वा नोसन्नोवउत्ता वा?, गोयमा! आहारसन्नोवउत्ता जाव नोसन्नोवउत्ता वा सव्वत्थ पुच्छा भाणियवा कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा अकसायी वा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org

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