Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 630
________________ व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः२] ॥९७२॥ CAMERASACROSSSSSS इत्थीवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा अवेदगा वा इत्थिवेदबंधगा वा पुरिसवेदबंधगा वा नपुंस- ४० शतके गवेदबंधगा वा अबंधगा वा, सन्नी नो असन्नी सइंदिया नो अणिंदिया संचिट्ठणा जहन्नेणं एवं समयं उक्को- संज्ञिपञ्चेसेणं सागरोपमसयपुहुत्तं सातिरेगं आहारो तहेव जाच नियम छद्दिसिं ठिती जहन्नेणं एकं समयं उक्कोसेणं न्द्रियाः तेत्तीसं सागरोवमाई छ समुग्धाया आदिल्लगा मारणंतियसमुग्धाएणं समोहयावि मरंति असमोहयावि सू०८६४ मरंति, उवट्टणा जहेव उववाओ न कत्थइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति, अह भंते! सबपाणा जाव|६|| अणंतखुत्तो, एवं सोलसुवि जुम्मेसु भाणियवं जाव अणंतखुत्तो, नवरं परिमाणं जहा बेइंदियाणं सेसं तहेव । सेवं भंते ! २त्ति ॥४०॥१॥ पढमसमयकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ उववजन्ति ?, उववाओ परिमाणं आहारो जहा एएसिं चेव पढमोद्देसए ओगाहणा बंधो वेदो वेदणा उदयी उदीरगा य जहा बेन्दियाणं पढमसमयाणं तहेव कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा, सेसं जहा बेन्दियाणं पढमसमइयाणं जाव अणंतखुत्तो नवरं इत्थिवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा सन्निणो असन्नीणो सेसं तहेव एवं सोलसुवि जुम्मेसु परिमाणं तहेव सर्व । सेवं भंते! २ त्ति ॥ ४॥२॥ एवं एत्थवि एक्कारस उद्देसगा तहेव, ॥९७२॥ |पढमो तइओ पंचमो य सरिसगमा सेसा अविसरिसगमा, चउत्थछट्टअट्ठमदसमेसु नस्थि विसेसो कायछो । सेवं भंते ! २ ति ॥ (सूत्र ८६४)॥४० सते पढमसन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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