Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 633
________________ CY N BOSSESSHOSESSO उहेसएस. सेसं तं चेव । सेवं भंते! सेवं भंते ! ति॥ तइयं सयं सम्मत्तं ॥३॥ एवं काउलेस्ससयंपि नवरं संचिट्ठणा जह. एक समयं उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखेजइभागमभहियाई, एवं ठितीएवि, एवं तिसुवि उद्देसएसु, सेसं तं चेव । सेवं भंते!२त्ति ४॥चउत्थं सयं ॥ एवं तेउलेस्सेसुवि सयं, नवरं संचिट्टणा जह० एकं समयं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलिओवमस्स असंखेजहभागमभहियाई एवं ठितीएवि नवरं नोसन्नोवउत्ता वा, एवं तिसुवि उद्देसएसु सेसं तं चेव।सेवं भंते!२त्ति ॥पंचमं सयं ॥५॥ जहा तेउलेस्सासतं तहा पम्हलेस्सासयंपि नवरं संचिट्ठणा जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाई, एवं ठितीएवि, नवरं अंतोमुहुत्तं न भन्नति सेसं तं चेव, एवं एएसु पंचसु सएस जहा कण्हलेस्सासए गमओ तहा नेयघो जाव अणंतखुत्तो । सेवं भंते ! २त्ति ॥४०-छ8 सयं सम्मत्तं ॥६॥ मुक्कलेस्ससयं जहा ओहियसयं नवरं संचिट्ठणा ठिती य जहा कण्हलेस्ससए सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। सेवं भंते! २त्ति ॥ सत्तमं सयं सम्मत्तं । भवसिद्धियकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ | उववजन्ति ?, जहा पढमं सन्निसतं तहा यवं भवसिद्धियाभिलावेणं नवरं सबपाणा?, णो तिणढे समढे, सेसं तहेव, सेवं भंते !२त्ति ॥ अट्ठमं सयं । कण्हलेस्सभवसिद्धीयकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ उववजन्ति?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहियकण्हलेस्ससयं । सेवं भंते! २त्ति ॥ नवमं सयं ॥ एवं नीललेस्सभवसिद्धीएवि सयं । सेवं भंते!२॥ दस सयं ॥ एवं जहा ओहियाणि संन्निपंचिंदियाणं सत्त सयाणि 156456254052ॐA Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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