Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
४० शतके सू. ८६५
व्याख्या
भणियाणि एवं भवसिद्धीएहिवि सत्त सयाणि कायवाणि, नवरं सत्तसुवि सएसु सबपाणा जाव णो तिण? प्रज्ञप्तिः समढे, सेसं तं चेव । सेवं भंते! २॥ भवसिद्धियसया सम्मत्ता ॥ चोद्दसमं सयं सम्मत्तं ॥१४॥ अभवअभयदेवी- सिद्धियकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ उववजन्ति ?, उववाओ तहेव अणुत्तरविमाणवज्जो परिमाणं या वृत्तिः२||| अवहारो उच्चत्तं बंधो वेदो वेदणं उदओ उदीरणा य जहा कण्हलेस्ससए कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा नो ॥९७४॥
६ सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी नो नाणी अन्नाणी एवं जहा कण्हलेस्ससए नवरं नो विरया
अविरया नो विरयार संचिट्ठणा ठिती य जहा ओहिउद्देसए समुग्धाया आदिल्लगा पंच उच्चट्टणा तहेव अणुत्तरविमाणवजं सवपाणा णो तिणढे समटे सेसं जहा कण्हलेस्ससए जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मसु । सेवं भंते! २त्ति ॥ पढमसमयअभवसिद्धियकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ उववजन्ति?, जहा सन्नीणं पढमसमयउद्देसए तहेव नवरं सम्मत्तं सम्मामिच्छत्तं नाणं च सव्वत्थ नत्थि सेसं तहेव । सेवं भंते!२त्ति ॥ एवं एत्थवि एक्कारस उद्देसगा कायवा पढमतइयपंचमा एक्कगमा सेसा अट्ठवि एक्कगमा । सेवं भंते! २त्ति ॥ पढम अभवसिद्धियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥ चत्तालीसमसए पन्नरसमं सयं सम्मत्तं ॥ ॥४०॥१५॥ कण्हलेस्सअभवसिद्धियकडजुम्मरसन्निपंचिंदिया णं भंते! कओ उववजन्ति?, जहा एएसिं चेव ओहियसयं तहा कण्हलेस्ससयंपि नवरं ते णं मंते! जीवा कण्हलेस्सा?, हंता कण्हलेस्सा, ठिती| संचिट्ठणा य जहा कण्हलेस्सासए सेसं तं चेव । सेवं भंते! २त्ति ॥ बितियं अभवसिद्धियमहाजुम्मसयं ॥
॥९७४॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654