Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 627
________________ न उवव० सम्मदिट्टी वा मिच्छदिट्टी वा नो सम्मामिच्छादिही नाणी वा अन्नाणी वा नो मणयोगी वययोगी वा कायजोगी वा, ते णं भंते! कडजुम्मरदिया कालओ केव०१, गोयमा! जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं संखेज़ कालं ठिती जहन्नेणं एकं समयं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई, आहारो नियम छदिसिं, तिन्नि समुग्घाया सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु । सेवं भंते ! २ त्ति ॥ बंदियमहाजुम्मसए पढमो उद्देसओ सम्मत्तो ॥ ३६॥१॥ पढमसमयकडजुम्मरबेंदिया णं भंते! कओ उवव०१, एवं जहा एगि-18 दियमहाजुम्माणं पढमसमयउद्देसए दस नाणत्ताई ताई चेव दस इहवि, एकारसमं इमं नाणत्तं-जोमणयोगीनो वइयोगी काययोगी सेसं जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्देसए । सेवं भंते ! २त्ति ॥ एवं एएवि जहा एगिंदि| यमहाजुम्मेसु एक्कारस उद्देसगा तहेव भाणियवा नवरं चउत्थछटुंअहमदसमेसु सम्मत्तनाणाणि न भवति. | जहेव एगिदिएसु पढमो तइओ पंचमो य एक्कगमा सेसा अह एकगमा । पढमं बेइंदियमहाजुम्मसयं सम्मत |॥१॥ कण्हलेस्सकडजुम्मरबेइंदिया णं भंते! कओ उववजंति?, एवं चेव कण्हलेस्सेसुवि एक्कारसउद्देया सगसंजुत्तं सयं, नवरं लेस्सा संचिट्ठणा ठिती जहा एगिदियकण्हलेस्साणं ॥ बितियं दियसयं सम्मत्तं ॥२॥ एवं नीललेस्सेहिवि सयं । ततियं सयं सम्मत्तं ॥३॥ एवं काउलेस्सेहिवि, सयं ४ सम्मत्तं ॥ भवसिद्धियकडजुम्मरबेइंदिया णं भंते!, एवं भवसिद्धियसयावि चत्तारि तेणेव पुवगमएणं नेयवा नवरं सवे पाणा० णो तिणहे समढे, सेसं तहेव ओहियसयाणि चत्तारि। सेवं भंते सेवं भंते! त्ति॥ छत्तीसमसए अट्ठमं सयं सम्मत्तं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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