Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 618
________________ व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः२ सातावेदगा वा असातावेदगा वा, एवं उप्पलुद्देसगपरिवाडी, सवेसि कम्माणं उदई नो अणुदई, छण्हं ३५शतके कम्माणं उदीरगा नो अणुदीरगा, वेदणिजाउयाणं उदीरगा वा अणुदीरगा वा, ते णं भंते! जीवा किंटू महाराश्युकण्ह० पुच्छा, गोयमा! कण्हलेस्सा वा नील काउ० तेउलेस्सा वा, नो सम्मदिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी त्पादादि मिच्छादिट्ठी, नो नाणी अन्नाणी नियमं दुअन्नाणी तं०-मइअन्नाणी य सुयअन्नाणी य, नो मणजोगी नो वइ सू. ८५६ जोगी काययोगी, सागारोवउत्ता वा अणागारोवउत्ता वा, तेसिणं भंते! जीवाणं सरीरा कतिवन्ना? जहा उप्पलुद्देसए सवत्थ पुच्छा, गोयमा! जहा उप्पलुद्देसए ऊसासगा वा नीसासगा वा नो उस्सासनीसासगा वा, आहारगा वा अणाहारगा वा, नो विरया अविरया नो विरयाविरया, सकिरिया नो अकरिया, सत्तविहबंधगा वा अट्टविहबंधगा वा, आहारसन्नोवउत्ता वा जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता वा, कोहकसायी वा माणकसायी जाव लोभकसायी वा, नो इत्थिवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा, इत्थिवेयबंधगा वा परिसवेबंधगा वा नपुंसगवेदबन्धगा वा, नो सन्नी असन्नी, सइंदिया नो अणिदिया, ते णं भंते! कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया कालओ केवचिरं होइ?, गोयमा! जहन्नेणं एक समयं उक्कोसेणं अणंतं कालं अणंता उस्सप्पिणिओसप्पिणीओवणस्सइकाइयकालो, संवेहो न भन्नइ, आहारो जहा उप्पलुद्देसए नवरं निवाघाएणं छद्दिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं सेसं तहेव, ठिती जहन्नेणं अंतो० उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समुग्धाया आदिल्ला चत्तारि, मारणंतियसमुग्घातेणं समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति, dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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