Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 601
________________ REASEARCHERRORGANGA मइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा, सेकेणंटेणं० अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ एवं जाव अपज्जत्तवायरतेउकाइए णं भंते! समयखेत्ते समोहए समो २ जे भविए उडलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते पजत्तसुहुमतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते! सेसं तं चेव, अपजत्तबायरतेउक्काइए णं भंते! समयखेत्ते समोहए स०२ जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्तबायरतेउक्काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते! कइसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा ?, गोयमा! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा || विग्गहेणं उववजेजा, से केण?णं? अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ, एवं पज्जत्तबायरतेउकाइ ताएवि, वाउयकाइएसु वणस्सइकाइएसु य जहा पुढविकाइएसु उववाइओ तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयचो, एवं पजत्तबायरतेउकाइओवि एएसु चेव ठाणेसु उववाएयचो, वाउक्काइयवणस्सइकाइयाणं जहेव पुढविकाइयत्ते उववाओ तहेव भाणियो। अपजत्तसुहमपुढविकाइए णं भंते! उड्डलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए समोहणित्ता जे भविए अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपजत्तसुहमपुढविकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! कइस०१, एवं उडलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहयाणं अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते उववजयाणं सो चेव गमओ निरवसेसो भाणियहो जाव बायरवणस्सइकाइओ पज्जत्तओ वायरवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु उववाइओ।अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए समो २ जे भविए लोगस्स पुरच्छिमिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्तसुहमपुढविकाइयत्ताए उवव Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654